गंगा माँ देखती हैं,
सबका यह खेल।
मुस्कुराती हैं,
मन ही मन कहती हैं।
नहाने से पाप नहीं धुलते,
मन को साफ करना होता है।
पाप धुलते हैं,
कर्मों से, न कि गंगा के जल से।
सच्चे मन से पश्चाताप करना होता है,
तभी पापों का नाश होता है।
तो आओ मिलकर,
मन को साफ करें।
कर्मों से ,
पापों का नाश करें।
गंगा माँ का आशीर्वाद लें,
नए जीवन की शुरुआत करें।