जिस घर में बच्चे बड़े हुए और ज्ञानी जैसे।
उनकी निगाह में बुजुर्ग लगे अज्ञानी जैसे।।
उद्वेलित मन की सीमाओं को वह पहुँचाने।
कोमल मन के भाव न होंगे अभिमानी जैसे।।
मन में काश रहेगा भाव आचमन का डेरा।
हँस लेगे कर्मों पर 'उपदेश' मेहरबानी जैसा।।
जब हृदय में उमड़े भावो से दोस्ती करोगे।
तब मेरी ग़ज़लों की पीडा जानोगे ज्ञानी जैसे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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