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कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

एक कविता उसके नाम.. – कमलकांत घिरी

एक कविता उसके नाम, एक कविता उसके नाम,
जो थी दिल की बेहद पास,
जो थी सबसे खासम–खास,
जिसकी एक आवाज को सुन मैं छोड़ के जाता सारे काम,
एक कविता उसके नाम...

जो बड़ा इतराती थी जो बड़ा इठलाती थी,
जरा–जरा सी बात में जो अपना मुंह फुलाती थी,
जिसके बिन मुझको न था एक भी पल आराम,
एक कविता उसके नाम...

जो रोज़ सुबह खिड़की पे जाके अपना बाल बनाती थी,
धूप निकलते ही छत पे जो जा खड़ी हो जाती थी,
जिसकी एक झलक को तरसते बच्चे, बूढ़े हों या जवान,
एक कविता उसके नाम...

जिसकी पायल की धुन सुनकर मैं भी कभी झूमा करता था,
जिसकी एक झलक को पाने उसकी गली घूमा करता था,
जिसके नाम से मैं था बदनाम,
एक कविता उसके नाम...

जो कभी कहती थी मुझसे छोड़ न जाना मुझको यार,
जो कहती मुझसे कि वो करती है मुझसे बेहद प्यार,
चली गई जो लेकर पगली मुझसे ही बेवफ़ाई का इल्ज़ाम,
एक कविता उसके नाम, एक कविता उसके नाम..!!

----कमलकांत घिरी', मनकी, मुंगेली, छत्तीसगढ़।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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Lekhram Yadav said

कमलकांत भाई किसी के भी नाम लिखो मगर कविता जरूर लिखते रहना क्योंकि हम आपकी कविता से उतना ही प्यार करते हैं , जितना आप अपनी उनसे करते हो।

कमलकांत घिरी replied

आपकी यह समीक्षा पढ़कर मन गदगद हो गया सर जी! बस आप सब अपना आशीर्वाद यूंही बनाए रखना। 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत ही सुन्दर कविता कांत सर, लेकिन जिस रकीब का आपने जिक्र किया वो मैं नहीं हूँ वो तो आप ही बेहतर जानते होंगे लेकिन हां एक चाँद कभी हमारा भी हुआ करता था 😁 😁

कमलकांत घिरी replied

शुक्रिया सर जी, वो तो हमने आपको अपना रकीब यूंही मज़ाक में कह दिया था दिल से न लीजिएगा।🤗

Ankush Gupta said

Pure jamane m bas yahi aalam ha..kabhi ham bewafa ha kabhi bo bewafa ha.

कमलकांत घिरी replied

🙌🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! वारी जाऊं आपकी इस कविता पर🙏👌

कमलकांत घिरी replied

बहुत बहुत शुक्रिया रीना दीदी, आपकी इसी दरियादिली का तो मैं कायल हूं🙏।।प्रणाम🙏।।

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