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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक दिन बिन बुलाए आएगी


एक दिन वो बिन बुलाए आएगी😀😊
दरवाजा भी न खटखटाएगी
तुम्हे ढूंढती हुई , बच्चे की तरह
आके यू तुमसे लिपट जायेगी
एक दिन बिन बुलाए आएगी
कुछ किस्से तुम्हारी जिंदगी के
तुम्हे धीरे से याद दिलाएगी
थोड़ा हसाएगी थोड़ा रुलाएगी
खेलेगी बाहों में थोड़ा तुम्हारी
सासों को अंदर से बाहर निकालेगी
एक दिन बो बिन बुलाए आएगी
धीरे से मूदेगी आखों को तेरी
पकड़ेगी हाथो को बाहर ले जायेगी
एक दिन बो बिन बुलाए आएगी
खड़ा कर दूर तमाशा दिखलाएगी
रोएंगे किलपेगें लिपटेंगे कुछ देर
फिर सब चुप हो जायेंगे
संभलेंगे धीरे से पोछेंगे आशु
मुर्दा बताकर तुझको जलाएंगे
थोड़े समय तक रहेगा ये मातम
हस्ते हुए सब तुमको भुलायेंगे
टांगेगे तस्वीर यादें बनाकर
टंगी तस्वीरों मैं जाले लग जायेंगे
कहानी तेरी खत्म हो जाएगी
एक दिन बिन बुलाए आएगी
लेके जायेगी अलग सी दुनिया मैं
कर्मो का तेरे बो लेखा कराएगी
कोई कहेगा क्या करके आए
इतने दिनों में जो तुमने बिताए
अपना सा कोई न तुमको लगेगा
कर्मो का लेखा ही साथी रहेगा
आए अकेले थे जाना अकेले
काहे को पाले ही दुनिया झमेले
माया की दुनियां तुम्हे भरमाएगी
एक दिन बो बिन बुलाए आएगी

साक्षी लोधी




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

कमलकांत घिरी said

वाह वाह बहुत सही लिखा आपने मैम शानदार रचना 👌 🙏🙏

साक्षी लोधी replied

जी धन्यवाद

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह...! मन को छू लेने वाली रचना है।
हर पंक्ति जैसे धीरे-धीरे जीवन का सच खोलती चली जाए...
"एक दिन वो बिन बुलाए आएगी" — इस पंक्ति में जितनी सहजता है, उतना ही गहरा दर्शन भी।
अंत की ओर आते-आते शब्द नहीं, सन्नाटा बोलने लगता है।
👏💔

साक्षी लोधी replied

बहुत बहुत धन्यवाद सर

उपदेश कुमार शाक्यावार said

रचना ने धीमे-धीमे तस्वीर बना दिया। कर्मों के हिसाब-किताब से कुछ न दिया।। गहरा दर्शन बहुत खूब

साक्षी लोधी replied

जी धन्यवाद सर

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌👌

साक्षी लोधी replied

शुक्रिया

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