ये खाली हाथ है , इन्हें ना भरो
अपने आँसू का मोल किसी आँख से ना करो ,
ये वक्त गुजरने के लिए ही बना हैं,
किसी वक्त में ना बहा करो,
वक्त तो तुम्हारें भीतर ही चलेगा ,
वो भीतर भी किसी गुलामी ना करो,
अमीरों की चाहत का क्या भरोसा,
ये अमीरी भी ना सह पाए ,
इनके भीतर जाकर देखो ,
ये दिल से किसी के करीब ना रह पाए। ।
- ललित दाधीच ।।