कविता : जूतों की जरूरत....
आदमी आज
किधर जा रहा है ?
किसी महा पुरूष ने
सच ही कहा है
जब जूते और चप्पल
शिसे के शोरूम में रखने लगे
बेधडल्ले से जूते चप्पल
वहां पर खूब बिकने लगे
फिर वहीं ज्ञान ध्यान की किताब
बाहर फुटपाथ पर रखने लगे
वे किताब कोई भी शख्स
बिलकुल ही ना देखने लगे
समझो आदमी को
एक ही चीज खूबसूरत है
किताब नहीं आदमी को तो
सिर्फ जूतों की जरूरत है
किताब नहीं आदमी को तो
सिर्फ जूतों की जरूरत है.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




