कापीराइट गजल
अहसास कोई दिल में रहा नहीं बाकी
जमाने ने नहीं छोड़ी कसर कोई बाकी
जब से तोड़ा है मेरा दिल अपनों ने
बचा नहीं है कुछ भी दिल में बाकी
रोज करते हैं दिखावा साथ रहने का
साथ रहते हैं मेरे बन के ये गम साथी
साथ देता है कौन अब इस जमाने में
बना लिया है दर्द को अब अपना साथी
अब तो जीना है अकेले ही तुझे यादव
अब इस दिल में कोई रहा नहीं बाकी
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है