यादों में मेरी रहता है बस वो,
साॅंसों को मेरी सुनता है बस वो।
ख़्वाबों में तन्हा, तन्हा सफ़र में,
साथ हमेशा चलता है बस वो।
नैनों में मेरे बसता है बस वो,
लफ़्ज़ों को मेरे समझता है बस वो।
रातों के अंधेरों में, बुझे दिए के ढेरों में,
खुशियों की रोशनी देता है बस वो।
बातों में मेरी रहता है बस वो,
ज़ख़्मों को मेरे भरता है बस वो।
ग़मों के काफ़िलों में, मायूसी के बसेरों में,
मुस्कान लाता है बस वो।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️