कभी ख़्वाबों में आते हैं,कभी ख़यालों में आते हैं,
मेरे दोस्त मुझे हर वक्त सताने आते हैं।
कह कहकर थक गई हूॅं मैं इन्हें,
ख़्वाबों और ख़यालों में ही क्यों?
कभी हक़ीक़त में भी आओ सताने मुझे ।।
कहती हूॅं मैं अपने दोस्तों से,
तुम्हारे इंतज़ार में दिन और यादों में रातें कटती है।
पर वो नादान समझते ही नहीं
कहते हैं कि तू झूठ बोलती है ।।
अपने दोस्तों की रग-रग से वाक़िफ़ हूॅं मैं,
उनके दर्द की आह और खुशियों की वाह से
बेखबर नहीं हूॅं मैं।
पूछते हैं कि तेरा हाल क्या है?
पर क्यों बिन मेरे बताए वो मेरा हाल जानते नहीं है, फिर क्यों वो मेरे दोस्त मुझसे वाक़िफ़ नहीं है ।।
लगता है, मेरे दोस्त जताते नहीं पर,
प्यार मुझसे बहुत करते हैं, फिर क्यों वो बेखबर मेरी फितरत से रहते हैं।
क्यों कोशिश नहीं करते जानने की ये,
कि हम फितरत ऐसी क्यों रखते हैं ।।
"रीना कुमारी प्रजापत"
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




