तुम जिसे ग़ज़ल कहते हो वो जज़्बात हैं मेरे
लिखती हूंँ मैं जो कुछ भी वो हालात हैं मेरे
दर्दे दिल बयां करने को इक मक़ाम मिल गया
अब करती हूँ हर बात जो ख़यालात हैं मेरे
तुम्हारा दावा है कि पढ़ चुके हो मेरी आंँखों को
तो फिर बताओ और कितने सवालात हैं मेरे
तो क्या हुआ जो तुमने दिल तोड़ दिया है
मैं समझूंँगी ये आँसू हीं सौगात हैं मेरे