नारी अब तुम जमीर जगावो
दहेज़ के राक्षस को मार भगावो
चाहे रहेना पड़े क्यों ना अकेला
दहेज़ के दानव को जिन्दा जलाओ
जितनी गरज तुम्हे हे उतनी ही हे उनको
फिर क्यों जिन्दा जलती हो जरा मुझे समजावो
थोड़े वकत की बात हे तुम जरा रुक जावो
बड़ी हो रही बच्चीयो का जीवन सरल बनावो
हिन्दीभाषी राज्यों की यही करुण कहानी
मां भारती के आंसुओ की धारा तुम रुकवावो
के बी सोपारीवाला