देखो दिखाएं तुमको कुवारों की ज़िंदगी
सूखी नदी के तंग, किनारो की ज़िंदगी
भरते है आह सर्द हसीना को देख कर
पीतल की अंगूठी में नगिना को देख कर
खिड़की के पास रुक गए वो जीना को देख कर
मचले कभी आशा कभी वीणा को देख कर
किशमिश के बीच में छूवाड़े की जिंदगी
देखो दिखाएं तुमको कुवारों की ज़िंदगी
लूले है मगर हाथ दिखाने का शौक है
लंगड़े है मगर दौड़ लगाने का शौक है
भंगे है मगर आंख लड़ाने का शौक है
बूढ़े है मगर इश्क़ जताने के शौक है
गायो के बीच में है बछड़ो की ज़िंदगी
देखो दिखाएं तुमको कुवारों की ज़िंदगी
सुलझे नही सुलझाए कुवारों की पहेली
फांसी है किसी सगी सिस्टर की सहेली
तरुण हो , वृद्ध हो या हो दुल्हिन नवेली
फरमाने लगे इश्क़ अगर मिल जाये अकेली
कारो के बीच में है खटारो की ज़िंदगी
देखो दिखाएं तुमको कुवारों की ज़िंदगी
----धर्म नाथ चौबे
'मधुकर'
D.N CHAUBEY
Advocate
C/o Bar Association
C.M.M's Court
2, Bankshall Street
Kolkata-700001.

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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