ज़माने की बेरहमी
शिवानी जैन एडवोकेटByss
रोता हुआ देखकर यहाँ, महफ़िलें सजती हैं,
किसी के टूटे सपने पर, बेदर्दी से हँसती हैं।
ये दुनिया एक तमाशा है, जहाँ हर दर्द कहानी है,
और हँसने वालों की भीड़ में, बस बेगानी रवानी है।
किसी के दिल का जो घाव है, वो इनको चुटकुला लगता है,
किसी की बेबसी का मंज़र, इनकी हँसी का फव्वारा बहता है।
शायद डरते हैं ये भी कहीं, कल को खुद न रोना पड़ जाए,
इसलिए आज ही हँस लेते हैं, क्या पता कल क्या हो जाए।
ये हंसी एक नकाब है शायद, अपनी कमज़ोरी छुपाने का,
या फिर ये बंजर दिल है, जहाँ नहीं कोई ठिकाना प्यार का।
मगर याद रखना ओ हँसने वालों, ये वक़्त कभी स्थिर नहीं रहता,
जो आज हँस रहे हो तुम, कल आँसुओं का सैलाब भी बहता।
इसलिए थोड़ा तो रुको, थोड़ा तो इंसान बनो,
किसी के दुख में शामिल होकर, कुछ तो मरहम बनो।
ये हंसी तो ज़माने की, बेरहमी का है निशान,
हँसने से बेहतर है बाँटना, किसी के दर्द का इम्तिहान।