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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद की ग़ज़ल - कम-उम्र-ओ-जवाॅं-साल मर जाते हैं जहाॅं

"ग़ज़ल"

कम-उम्र-ओ-जवाॅं-साल मर जाते हैं जहाॅं!
लाचारी-ओ-बेबसी को मिल जाती है ज़ुबाॅं!!

मिरी मंज़िल-ए-तन्हाई तक कोई न पहुॅंचे!
मैं आगे बढ़ा मिटाते हुए क़दमों के निशाॅं!!

मिरे बंजारेपन ने मुझ को भटकाया दर-ब-दर!
सरगर्दां ढूॅंढता रहा मुझ को मिरा मकाॅं!!

तुम अब मिली हो ज़िंदगी जब सामने है मौत!
सारी उमर मैं ने तुझे ढूॅंढा कहाॅं कहाॅं!!

'परवेज़' इक दिन आएगा मिट जाएगा सब कुछ!
उस दिन के गवाह होंगे ये ज़मीं वो आसमाॅं!!

- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

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मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह, परवेज जी बहुत ही सुन्दर रचना, बधाई बधाई बधाई! संघर्ष करते करते जिंदगी कट जाती है पर दर्द, तन्हाई, बेरूखी, उलझनें , कभी पीछा नहीं छोड़ती। जिंदगी की आईना दिखाती आपकी ये ग़ज़ल वाकई काबिले तारीफ है।🌹🌹🌹❤️🙏

Lekhram Yadav said

जमीं और आस्मां ही क्यों हम भी इस बात के गवाह जरूर बनेंगे, अहमद भाई, बहुत खूबसूरत रचना, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

इस बेहतरीन समीक्षा और तारीफ़ के लिए तह-ए-दिल से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, मनोज जी! बहुत-बहुत नवाज़िश आपकी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल की गहराइयों से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, यादव जी! बहुत-बहुत इनायत आपकी! ❤️🙏

इक़बाल सिंह “राशा“ said

परवेज जी
आपकी यह ग़ज़ल हक़ीक़त-ए-ज़िंदगी और दर्द-ए-तन्हाई का गहरा बयान है हर शेर में बेबसी, तलाश और फ़ना की सच्चाई का असरदार रंग झलकता है।बहुत खूब सर आपको सादर प्रणाम

वन्दना सूद said

यही सच्चाई है ज़िन्दगी की सब जानते हैं पर समझता फिर भी कोई नहीं

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तह-ए-दिल से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, राशा जी! बहुत-बहुत इनायत और नवाज़िश आपकी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, वन्दना जी! नवाज़िश! ❤️🙏

सुभाष कुमार यादव said

मिरे बंजारेपन ने मुझ को भटकाया दर-ब-दर!
सरगर्दां ढूॅंढता रहा मुझ को मिरा मकाॅं!!
क्या कहने, बेहतरीन।👌👌🙏🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल की गहराइयों से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, सुभाष जी! बहुत-बहुत इनायत और नवाज़िश आपकी! ❤️🙏

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