ख़ुद से मुलाक़ात
(रदीफ़: नहीं मालूम)
ये साँस भी क़र्ज़ है, ये ज़िंदगी भी इक किराया है, ये वक़्त किस मोड़ पे आकर ठहरेगा, हमें नहीं मालूम।
वो इश्क़ जो आईना था, वो क्यों बेवफ़ा हो गया अचानक, किसी और की ग़लती थी या अधूरा इरादा है, हमें नहीं मालूम।
ज़ेहन में तो अंधेरा है, हर रोशनी भी झूठी है यहाँ, ये सत्य का रास्ता है या कोई भटका हुआ वाद है, हमें नहीं मालूम।
हर शख़्स तन्हा है दौलत की भीड़ में भी आजकल, वो रिश्ता जो रूह से था, वो अब कहाँ आबाद है, हमें नहीं मालूम।
ये शिकवा न कर ऐ दिल कि ज़माना ख़राब है तेरा, तेरी अपनी नज़र की ग़लती क्या थी, तेरा बुनियादी फ़साद है, हमें नहीं मालूम।
मैंने मेहनत को तक़दीर से ज़्यादा ज़रूरी तो समझा, पर ये फ़लसफ़ा किस क़दर कामयाब था, तेरा अंतिम इम्दाद (सहायता) है, हमें नहीं मालूम।
ये मौत तो एक पल की थी, मगर इंतज़ार सदियों का था, वहाँ ख़ुदा मिलेगा या ख़ामोशी का कोई अजीब इमदाद है, हमें नहीं मालूम।
- ललित दाधीच

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




