अजीब लोग हैं,
मुझे मेरे ही अतीत का ब्यौरा दे रहे हैं!
जैसे मेरी ज़िंदगी का ठेका इन्हीं को मिला हो,
और मेरी भूलों का हिसाब रखने की ठान ली हो!
भाईसाहब!
तुम्हें कौन-सी सरकारी नौकरी मिली है?
“पुराने घाव कुरेदो विभाग” में भर्ती हो गए क्या?
या फिर तुम्हारा करियर ही मेरा अतीत है,
जिसके बिना तुम्हारी रोज़ी-रोटी अटक जाएगी?
मुझे तो लगा था,
समय के साथ लोग आगे बढ़ते हैं,
पर ये क्या!
तुम तो वहीं रुके हो,
जहाँ मैंने गिरकर खुद को संभाला था!
तुम कहते हो, “याद है, तूने वो किया था?”
अरे भाई! तुम ही याद रखो,
मुझे तो भूलने की आदत है!
मैंने तो अपनी गलतियों से कुछ सीखा,
तुम बस मज़ाक उड़ाते रहे!
वैसे एक बात बताओ,
तुम्हें मेरी गलती में इतनी दिलचस्पी क्यों है?
कोई खाली पद मिला नहीं क्या,
या फिर खुद की गलतियाँ इतनी भारी हैं
कि किसी और की तलाश में लगे हो?
खैर, तुम लगे रहो,
ताने मारने, खिल्ली उड़ाने में,
मैं तो अपने सपनों की उड़ान में हूँ,
तुम बस नीचे से ताली बजाते रहना!

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




