देख लो बही हम सबसे अलग दिखते है।
अपनों के बीच में हम बेगाने से दिखते है।।
क्या बताये हर बात सोचकर सहम जाते।
भरे पूरे परिवार में हम ठगे जैसे दिखते है।।
अपनी हैसियत कभी हुआ करती थी खूब।
छांव की जरूरत में धूप में खड़े दिखते है।।
कुछ तो बात रही मगर आँसू ही बहते रहे।
नजर मिलाते नही बेवजह ख़फ़ा दिखते है।।
आज फिर दिल पर दस्तक दी किसी गैर ने।
दिल की सुनने को 'उपदेश' पास दिखते है।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




