दिल मिले तो नसीब कहाँ मिलता है,
यूँ ही कोई किसी को कहाँ मिलता है।
यूँ तो मिलता नहीं, हर एक से दिल,
जिससे मिल जाता है, दिल से दिल,
वही शख्स नसीब में कहाँ मिलता है,
यूँ ही कोई किसी को कहाँ मिलता है।
शमा की चाह में जल जाता परवाना,
दर्द की हद से यूँ गुजरता है दीवाना,
जो नहीं नसीब में वो कहाँ मिलता है,
यूँ ही कोई किसी को कहाँ मिलता है।
नसीब मिले तो दिल कहाँ मिलता है,
दिल और नसीब साथ कहाँ मिलता है,
दिल भी हर किसी से कहाँ मिलता है,
यूँ ही कोई किसी को कहाँ मिलता है।
🖊️सुभाष कुमार यादव