सपनों की राह चलके
वो आती मचल मचल के
रातें बिता रहें हैं हम
करवट बदल बदल के
जीने की है तमन्ना
ज़ालिम है ये जमाना
जीते हैं बंदिशों में
अरमां कुचल कुचल के
चंदा की चांदनी से
करतें हैं रोज़ बातें
मिल जाती है दिलासा
छत पर टहल टहल के
कानों में जब भी आए
गलियों से कोई छन छन
आ जाएं घर से बाहर
देखें निकल निकल के
फूलों की खुशबुओं में
भौंरों का गुनगुनाना
देख रह जाता है मन
अपना बहल बहल के
लोगों का ये है कहना
इश्क राह भरे कांटें
यही समझ कर चलना
"समदिल" सम्हल सम्हल के।।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




