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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चलो आज ये भी कर लेते हैं

चलो आज ये भी कर लेते हैं
तुम कहते हो कि छोड़ दो हमे
तो हम तुम्हें छोड़ देते हैं,
तुम कहते हो कि भूल जाओ हमे
तो हम तुम्हें भूल जाते हैं।
चलो आज ये भी कर लेते हैं.........

चलो आज ये भी कर लेते हैं
तुम कहते हो कि बात ना करो हमसे
तो हम तुमसे बात करना भी बंद कर देते हैं,
तुम कहते हो कि यूं साथ न चलो मेरे
तो हम साथ चलना भी छोड़ देते हैं।
चलो आज ये भी कर लेते है.......

चलो आज ये भी कर लेते हैं
तुम कहते हो कि छोड़ दो हमारा घर
तो हम घर भी छोड़ देते हैं,
तुम कहते हो कि मिटा दे हम अपनी ज़िंदगी से
तुम्हारा नामो - निशान
तो वो भी मिटा देते हैं।
चलो आज ये भी कर लेते हैं.........

चलो आज ये भी कर लेते हैं
तुम कहते हो कि हम न हक़ीक़त में आए
और ना ही आए ख़्वाबों में तुम्हारे
तो नहीं आते हैं,
तुम कहते हो कि चले जाओ हमारी राहों से
तो चले जाते हैं।
चलो आज ये भी कर लेते हैं.........
💐✍️ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। चलो हम भी कर लेते हैं एक कमेंट, वाकई कविता सुन्दर है। नमस्कार।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks for comment मेरी कविता आपको सुन्दर लगी आभार आपका 🙏🙏 सुप्रभात

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob mam, Pranam sweekar karein🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम शुक्रिया

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