मशहूर नहीं होना मुझको
मगरुर नहीं होना मुझको
मैं लिखता हूं जो समझता हूं
जीवन के रंगों को संजोता हूं
मन के अवशेषों को पन्नों में
जीवन के आदर्शों को छंदों में
जब जब भी जो जो भी काम का
मिला उसे सबसे शेयर करता हूं
मैं रहूं ना रहूं ये तो वक्त की बात है
पर अक्षरों में मेरी याद फरियाद
संवाद हास परिहास हर पल व्याप्त है
रहेगा और चीर काल तक रहेगा
जो जीवन के मूल्यों को सबको
कहेगा..
मेरी सोंच विचार को समाहित कर
सबके लिए रखेगा
जिसको पढ़ कर शायद कोई
खुश रहा होगा..
बस यही मेरी इल्तेज़ा है
बस यही मेरी चाह है
इसलिए मैं लिखता हूँ
जीवन को पन्नों पर उकेरता हूं
शायद इसी लिए मैं लिखता हूं..
इसीलिए मैं लिखता हूँ...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




