चूहे डरे सहमे, दिन रात करते हैं रोना,
बिल्ली का खौफ सिर पर, चबा जाएगी हड्डी कोना।
बुजुर्ग चूहा बोला, "एक उपाय निकालें," "बिल्ली के गले में घंटी बांधें, हम सुरक्षित रहें।"
सब चूहे बोले, "अच्छा विचार है भाई,
लेकिन बांधेगा कौन घंटी, ये है सवाल बड़ा भाई।
एक बोला, "मैं बांधूंगा", दूसरा बोला, "मैं जाऊंगा,"
हर कोई पीछे हटने लगा, कोई आगे नहीं बढ़ा।
बूढ़ा चूहा बोला, "डर क्यों रहे हो ऐ चूहे। "बिल्ली से डरकर, बैठे रहोगे घर में यूँ ही दुबके हुए।
मैं जाऊंगा बिल्ली के पास, घंटी बांधूंगा उसके गले में।
सब चूहे हँसे, बोले, "तुम तो बूढ़े हो गए हो, बेचारे।"
एक जवान चूहा बोला, "मैं जाऊंगा बिल्ली के पास।
लेकिन पहले खाना खा लूं, फिर सोचूंगा इस बात पर।
एक और बोला, मैं जाऊंगा,
लेकिन पहले ,थोड़ी नींद ले लूं,।
फिर सोचूंगा इस बात पर, क्या करना है क्या छोड़ना है।"
बिल्ली खूब मजे ले रही थी,
चूहों की इस बहस पर, दूर से देख रही थी, सबको हँसा रही थी।
आखिरकार किसी ने नहीं,
बांधी घंटी बिल्ली के गले में।
रहे चूहे डरे सहमे, ं
बिल्ली की चालाकी देखकर।