अदीबों का रकीबों से ना जब तक सामना होगा
गजल बासी रहेंगी सब ना सच का आईना होगा
हजारो शेर कहके भी कोई तो शायर नहीं बनता
कोई दो चार कहकर बस हजारों की जुबां होगा
हुश्नों इश्क वफा वादे जाम ही बस जिन्दगी नहीं
कभी माँ बहन बेटी बीवी का रिश्ता निशां होगा
जमी पे अनगिनत नस्लें हैं परिंदों और चरिंदों की
यहाँ चींटी वहाँ हाथी बहुत दरखत का बयां होगा
अगर दिन रात हों गाफिल खुमारी मे वज़ारत की
कहीं पे दास दिल का भी कोई आखिर जहां होगा