उलझी उलझी सी ज़िंदगी को सुलझाया करो
कभी कभार अपनी चौखट पे बुलाया करो
शबनम के मोती तपनमें जले उसे बचाया करो
नाजुक पौधों की वो प्यास है थोड़ा समझा करो
जीवन की आस का तूं ही सहारा जो दिया करो
चराग़ बुझ जाते है मझधार उसे बचाया करो
दयानिधि तूं दयावान है कृपा दृष्टि रखा करो पनाह का दरबार तेरा जगह सर्व को दिया करो
रखवाला तूं है सारे जहां का रक्षा किया करो
छोटे सही हम,हमारी आरजू की अर्ज सुना करो
हादसे हिला देते मनोवृत्ति के दौरे ना दिया करो
तेरे है तेरे ही रहेंगे भयावह मंज़र न खड़ा करो
छोटी सी गुज़ारिश है भक्ति भरपूर दिया करो
जाना तय है बस रफ़्तार को ढील किया करो
अंजान कहां तूं खैरियत के प्राण भरा करो
जहां तेरा, राजा तूं, कर्म वसूली कम किया करो