भ्रष्टाचार की अचार से सब खट्टा खट्टा है ।
खेल प्रशासन जनता राशन सब अट्टा पट्टा सा है।
लोग मुफलिसी से निकलकर तारें तोड़ लातें हैं ,
अपने घर को रौशन कर फिर से किसी को
मुफलिसी दे जातें हैं।
जिम्मेदारियों की एहसास केवल अहसास भर हीं है,
हकीकत में लोग इससे दूर भागतें हैं।
जो जहां है वहीं मलाई चापनें में लगा है।
यहां हर किसी ने हर किसी को ठगा है।
बनते हो अफ़सर तुमने भी ना छोड़ी कोई कसर,
बन के असरदार भ्रष्टाचार के सरदार बन गए,
गरीबी तो मिटी नहीं खुद की अमीर और
गरीबों को हटाते चले गए।
ज़रा देखो गरीब की झोपड़ी में वहां चूल्हा नहीं दिल जल रहा है
खाने के नाम पर नमक रोटी भी नहीं मिल रहा है।
कुपोषित टुअर टापर भारत का भविष्य मिल रहा है
जिसको अमीरों के कुत्तों के बराबर भी बिस्कुट भी नहीं मिल रहा है।
बातें बनानी तो बहुत आसान है।
भय भूख गरीबी से तील तील लड़ रहा
अज़कल हर इंसान है।
कहीं पुल टूट रहें तो कहीं सड़कें धंस रहीं ,
कहीं मकानें गिर रहीं तो कहीं दुकानें लूट रहीं।
भ्रष्टाचार के गंदे पानी से गांव शहर राज्य हीं नहीं अपितु पूरा देश पट रहा ।
जहां भी देखो सरेराह मानवता लूट रहा।
अरे भाइयों अब तो जागो
कुछ शर्म कर लो ।
मानवता भरा कुछ कर्म कर लो।
साथ क्या गया है अबतक की बटोरने में लगे हो।
याद रह जाएंगी तुम्हारी वही बातें जो मानवता के लिए तुमने किए हों।
सो आओ अब ये प्रण लेते हैं।
तन मन धन से देश की सेवा करतें हैं।
सरकारें तो अपना काम कर हीं रहीं है
हम सब भारतवासी भ्रष्टाचार मुक्त भारत के अभियान में अपने को समर्पित करतें हैं।
इस महान देश को और महान करतें हैं।
हम सब भारतवासी भारत राष्ट्र को अब
भ्रष्टाचार मुक्त करतें है।
देश से हमने सबकुछ लिया
अब देश हम भी कुछ देते हैं।
भ्रष्टाचार मुक्त भारत करतें है...
भ्रष्टाचार मुक्त भारत करतें हैं.....