हृदय से हृदय मिलें
प्रार्थना कुबूल हो
विश्व शांति पाठ हो
माफ सबकी भूल हो।
हे ईश अब तू तोड़ दे
मौन की ये बेड़ियां
साँसों को साँस दे
दूर अब ये शूल हो।
मिट चुकी इस आस को
आशा का श्वास दो
प्रेरणा मिले हमें
चाहे काँटों में फूल हो।
स्पर्श प्रियजनों का
पुनः आग्रहीत हो
शत्रु का उन्मूलन
सर्वत्र समूल हो।
----अर्चना मेहरा