हे प्रियतमा..हे मेरी पत्नी,
हे अर्धांगिनी..हे मेरी संगिनी !!
तुम बिन बगिया है मेरी सूनी,
तुम ही लुगाई हो धर्मपत्नी !!
कसम तुम्हारी सच्ची-मुच्ची,
तुम ही हो बस मेरी घरवाली !!
धन्य हुआ पाके बीवी तुमसी,
औरत भी हो अब तुम मेरी !!
गृहस्वामिनी बनके रहना,
प्राणप्रिया दिल में बसती हो !!
गृहिणी भी तुम जोरू भी तुम,
न अति आरी नारी भी हो तुम !
जीवनसंगिनी रूठ न जाना,
भले कहे तिरिया ये जमाना !!
जब दुलहन बन कर आये थे,
सहगामिनी बन छाये थे !!
श्रीमती तुझसी कोई न दूजा,
हर दिन तुम्हरी मैं करूँ पूजा !!
अब हो प्राण की प्राणेश्वरी तुम,
तुमसे ही रौशन ये घर-आँगन !!
🙏हर वाइफ को समर्पित एक बेहतरीन
गीत वेदव्यास मिश्र की समर्पित😍कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है