अच्छे कर्म - डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
धन दौलत के पीछे,
भाग रहा है तू ।
मालूम है तुझे,
ये काम ना आएगी।
लाया था क्या साथ अपने,
जो तू ले जायेगा।
इस दुनिया में ,
अपना किरदार निभाते -निभाते।
क्या से क्या बन गया तू,
माया जाल में फंस गया तू।
अच्छे कर्म सब छोड़ कर ऐ!"विख्यात"
पाप के दलदल में धंस गया तू।