🌺पछुआ बयरिया🌺
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आये थे बदरा छाए थे बदरा
चल पड़ी पछुआ बयरिया
उड़ा ले गयी कारी बदरिया
सजल नयन पत्ते निहारते
अवनि की बुझ नहीं पायी प्यास
आकुल है खग मृग विहंग
थम रहीं धरती की श्वास
हाय बड़ी निष्ठुर है री यह
पछुआ बयरिया उड़ा
ले गयी कारी बदरिया
नवोदभिद झरोखें से झांकते
अमृत बूंद बरसा दो बदरिया
यही तोतली बोली मैं पुकारते
प्रभु लाओ पुरबा बयरिया
बरसा दो अब कारी बदरिया
✍️ #अर्पिता पांडेय

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




