उनकी अलमारी में, जब अनुदान के सरकारी दस्तावेज पाए गए।
बोले आज मेरा व्रत है। कुछ नहीं बोलूंगा।
एक्शन डंडे का देख, कुछ यूं बोले,
द्रोपदी ने दुर्योधन को अंधे का पुत्र अंधा, न कहा होता।
तो शायद महाभारत कभी नहीं होता।
यदि विभीषण नहीं होता, अमरता का भेद कैसे मालूम होता।
घर का भेदी लंका ढा गया, सरकारी गवाह बन के अदालत में आ गया।
गायब सभी फाइलों को,न जाने कहां से लेकर आ गया।
बोला हजूर, मालूम था मुझे।
मिलकर सारे ,फंसा देंगे मुझे।
डंकी लाल डंक,अंकी लाल अंक, इंकीरानी इंक का कमाल है।
यही तो चालबाज,घोटालेबाज है।