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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरी बुआ मां

प्यार, मोहब्बत और संस्कारों की
साक्षात देवी है वो,
कोई और नहीं मेरी बुआ मां है वो।
रिश्ते बनाते कैसे हैं उन्हें निभाते कैसे हैं ये सीखे
कोई उनसे,
क्योंकि रिश्तों को जी जान से निभाने में
माहिर हैं वो।

बुआ मां से हमारा ना है खून का रिश्ता,
उनसे तो है हमारा दिल का रिश्ता।
वो है नहीं हमारी सगी बुआ,
पर हम सबके लिए सगी से बढ़कर है वो।

प्यार वो भी हमसे उतना ही करती है जितना कि
हम उनसे करते हैं,
बस मशग़ूल इतना रहती है कि हमसे
मिल नहीं पाती है।
पर कोई गिला नहीं हमे,
क्योंकि दूर रहकर भी वो हमेशा पास हमारे रहती है।

आज बुआ का जन्मदिन है,
पर आंखें मेरी नम है।
लग रहा है डर मुझे,
क्योंकि उम्र उनकी निकलती जा रही
दिन - ब - दिन है।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Lekhram Yadav said

वाह क्या बात है आज मां की सारी ममता ही लुटा डाली आपने मेरी प्यारी बहना। आप मेरा नमन स्वीकार करें।

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम 🙏 बहुत बहुत आभार आपका

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