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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरे दोस्त मेरे ख़िलाफ़ हो गए

सोचा था मैंने कि लोग मेरे ख़िलाफ़ हुए
तो क्या हुआ?
मेरे दोस्त तो मेरे साथ होंगे।(2)
आज जब मेरे एक फ़ैसले पर दुनियां मेरे ख़िलाफ़
हुई तो मुझे कोई दर्द ना हुआ,
पर जब मेरे दोस्त मेरे ख़िलाफ़ हो गए तो ये दिल
सिसक -सिसक कर रोने लगा।

एक गलतफहमी मैंने मेरे दिल में पाल रखी थी
कि जब पूरी दुनियां एक तरफ़ होगी और
मैं अकेली एक तरफ़ होऊंगी,
तो इस जहां में कोई तो होगा जो मेरी तरफ़ होगा।
पर मैं गलत थी,
आज मेरी तरफ़ सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं अकेली थी।

इस जहां के लोग तो पहले से ही मेरे दुश्मन
बने हुए थे,
अब वक्त के साथ - साथ मेरे दोस्त भी मेरे दुश्मन
बनते जा रहे हैं।
धीरे -धीरे अकेली पड़ती जा रही हूॅं ,
सभी जो मुझसे नाता तोड़े जा रहे हैं।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। असल जिन्दगी में ऐसा ही होता है कल तक जो साथ थे, आज अलग हो गए। आपने भी कल मेरे गीत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, मुझे मालूम नहीं क्यों, लेकिन मैं यही सोचता रहा कि कम से कम मेरी प्यारी बहना तो जरूर करेगी, मगर अफसोस किसी ने भी ऐसा नहीं किया। क्या कहूं अब समझ नहीं आया।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका, हम ठीक होते तो ज़रूर अपनी प्रतिक्रिया देते। पर आज हमने दी है अपनी प्रतिक्रिया आपके कल वाले गीत पर बहुत सुंदर और मनभावन है गीत..

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सुप्रभात रीना Mam, बहुत सुन्दर रचना उत्तम कोटि की कलमकारी नमन वंदन प्रणाम

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम सुप्रभात 🙏 धन्यवाद !

Keshav Atri said

Bilkul satya kha aapne...ye dunia ha yha sab matlab ke hain sirf.

रीना कुमारी प्रजापत replied

Tahnku so much

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