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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

हमसे बात करते हैं अजनबियों की तरह-ताज मोहम्मद

वो जब भी मिलते हैं हमसे बात करते हैं अजनबियों की तरह।
अबतो वो लगते हैं हमें किताबों में रखे सूखे फूलों की तरह।।1।।

न जाने कितने दौर आए जिंदगी में मौसमों की तरह।
फिर भी हम इन्तजार करते रहे उनका सड़क पर लगे पत्थरों की तरह।।2।।

बात होती है हमारी उनकी धूप में जैसे बारिशों की तरह।
मिलने के वक्त उनको जाना होता है शाम के परिंदों की तरह।।3।।

कितनी कोशिश करता हूं ना याद आए वो अपनों की तरह।
पर हर कोशिश बेकार होती है हमारी फिरऔन की तरह।।4।।

तबीब समझकर हमने जिंदगी दे दी उनको मरीजों की तरह।
फिर वो हमें क्यों दिखता है कुछ-कुछ हमारें कातिलों की तरह।।5।।

बदनाम ना करेंगे हम तुमको तुम्हारे रकीबों की तरह।
क्योंकि चाहा है हमने तुमको बहुत शरीफों की तरह।।6।।

राजदार तुमको क्या बनाया हमने अपनों की तरह।
हमारी बरबादी में तुम भी शामिल हो गये हो दुश्मनों की तरह।।7।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! ताज साहब क्या खूब लिखा है आपने, एक एक लफ्ज़ दिल को छू गया, आपको और आपकी रचनाओं को मेरा नमन🙏

ताज मोहम्मद replied

आपका तहे दिल से शुक्रिया।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Same 2 same as Reena Mam kyuki mere pas khud ke Alfaz nahin bache itni khoobsurat krati ke liye

ताज मोहम्मद replied

अरे नही श्रीमान जी आप अल्फाजों का समंदर है। शुक्रिया।

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