धूप और छांव
धूप जब मुस्काए, उजाले फैलाए,
हर कोने को नई रोशनी दिखाए।
उम्मीदों का सूरज सिर पर चमके,
हर दिल में नया जोश भर कर दमके।
छांव जब आए, सुकून दे जाए,
थके हुए मन को पलभर सहलाए।
ठंडी हवाओं का संदेश लाए,
जीवन के रंगों को और गहराए।
धूप है मेहनत, तपकर निखरना,
छांव है आराम, ठहर कर सँवरना।
दोनों ही साथी, जीवन के राही,
संग चले जब तक यह सांसें हैं बाकी।
धूप छांव का खेल है जीवन,
हर मोड़ पर मिलता है परिवर्तन।
सूरज की गर्मी हो या छांव का गान,
जीवन को अपनाओ, यही है पहचान।
राइटर ममता आंबेडकर मोटिवेशनल कवित्री