सभा भवन में बैठे राजनीतिज्ञ,
बज रहे हैं वहाँ शोर और ताल।
नेताओं की है यहाँ रणनीति,
वोटों की लड़ाई, और खिलाड़ी।
राष्ट्र की बड़ी-बड़ी बातें,
खुल के हो रही हैं यहाँ बातें।
पार्टियों के झगड़े, अंदर के खेल,
हर चुनाव का है यहाँ मेला।
नेताओं के भाषणों की बरसात,
आम जनता तो सिर्फ सुनती है बस।
सियासी जंग का हर दिन,
होता है यहाँ नया मुकाबला शुरू।
सत्ता की लालसा, और पद की भूख,
यहाँ लोगों का होता है सिर्फ चुनावी संघर्ष।
प्रतिद्वंदियों के बीच जंग,
होती है यहाँ नाटकीय संघर्ष।
परिवार का वाद-विवाद, प्रेम और खिलवाड़,
सभी यहाँ हैं राजनीतिक दाव-पेच।
जनता को बेचते हैं वे अपना विकल्प,
इस नाटक में हैं सिर्फ पार्श्व-परस्पर के खेल।
राजनीतिज्ञों की धूर्त रणनीतियों में,
खोया जाता है देश का सपना।
यहाँ नैतिकता की कमी, और निरंतर दलदल,
रहती है यहाँ जनता की स्थिति बेहाल।
राजनीति का नाटक चलता है यहाँ,
नजरियों का खेल, और सत्ता का जंग।
पर्दे के पीछे होता है यहाँ दिल का दुख,
सच्चाई छुपी रहती है बहुत दूर कहीं।
राजनीति, एक नाटक का सफर,
हर कदम पर हैं यहाँ तमाशबीन बेहद बेहतर।
पर जो भी हो, है यहाँ देश की निगाह,
राजनीति की है यह नाटकीय पटरी ।