New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

स्थिर मन में, शांत लहरें - अशोक कुमार पचौरी


स्थिर मन में,
शांत लहरें,
आज क्यों हैं?

आसमान में,
काले पहरे,
आज क्यों हैं?

सुन रहे हैं सबकुछ,
फिर भी लोग बहरे,
आज क्यों हैं?

तन बदन में आग लगी है,
दिल में फिर भी राज गहरे,
आज क्यों हैं?

पतझड़ के सूखे उपवन में,
भ्रमित भँवरे,
आज क्यों हैं?

स्थिर मन में,
शांत लहरें,
काले पहरे,
लोग बहरे,
राज गहरे,
भ्रमित भँवरे,
आज क्यों हैं?

-अशोक कुमार पचौरी




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Lekhram Yadav said

वाह सर जी भ्रमित लोगों को सही राह दिखाने के लिए सुन्दर प्रयास किया है।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

महोदय अपने लिए अपने मनोभावों को प्रकट किया है की सब कुछ जानते हुए भी बहुत सी चीज़ों में जहाँ बोलना चाहिए कुछ करना चाहिए नहीं कर पाता हूँ - मेरा अक्सर किसी भी उम्र के इंसान से झगड़ा होजाता है जब कोई बिना बात के मेरे सामने गली में कुत्तों को लात मारकर या डंडे से भगाता हुआ नज़र आता है - मेरे घर वाले परेशां हैं कि किसी दिन अच्छा झगड़ा मोल लेगा, पर कहाँ तक चुप रहे बेजुबााँ जानवरों से जगह भी छीन ली अब वह सड़क पर चुपचाप बैठा है और कोई उसके लात मारकर चल रहा है और वह कुन कुन कुन कर कराह रहा है दर्द होता है मन करता है वैसे ही व्यवहार किया जाय उस इंसान के साथ लेकिन कर नहीं सकता बस उसको हिंदी में प्यार से समझाकर खुद को शांत कर लेता हूँ - हालाँकि परिणाम पॉजिटिव हैं 60% लोगों ने जो मेरे घर के सामने से गुजरते हुए ऐसा करते थे अपना रास्ता बदल लिया है बाकी के 40% लोग समझ गए हैं

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन