बलिदानों की झड़ी लगा दी इन वतन के मतवालों ने,
फांसी का फनदा चूम गए वो,
भारत के रखवालो ने,
काम्प गई वो कौन भी जिसको अपने पे गुमान था,
उन जवानों के खून में भी आजाद हिंदुस्तान था,
तिलमिलाएं और सादिसो का दौर चल रहा है,
यहां फिर आजाद हिंद फौज का दिल जल रहा,
आज़ादी पानी है हर हालात में चाहे खून का कतरा भी बह जाए,
अब आएं चाहे गोरे या फिर कोई भी सरकार आए,
विजय दिवस मनाएंगे अब चाहे प्राण जाए,
यह कह कर लाखों बलिदान हुए,
फिर पाई है आजादी हम्ने,
कई घरो के आंगन वीरान हुए,
कई बेटे माँ बाप से ना मिल पाये,
तब जाकर पाई है आज़ादी हम किस्मत वालों ने किस्मत वालों ने,
सर्वाधिकार अधीन है