एक बहरा है सुन नहीं सकता,
एक है गूंगा बोल नहीं सकता,
गूंगा बहरे से चाह कर भी तो,
पर्दे दिल के खोल नहीं सकता,
गूँगे-बहरे की अजब है कहानी,
एक सुन एक बोल नहीं सकता,
दोनों की जरूरत हैं, दोनों ही,
अकेले कुछ तौल नहीं सकता,
वो है बहरा, तो हम भी गूँगे हैं,
गूँगा बहरे को बोल नहीं सकता,
🖊️सुभाष कुमार यादव