ख्वाब पालने की आदत बहुतो ने पाली।
कुछ का दिवाला निकला कुछ की दिवाली।।
चमन में घूम कर खुशबू की चाहत अजब।
तरह-तरह के फूल खिलाने वाला है माली।।
हर दिन बर्बाद नहीं कर सकते इस उम्र मे।
भरी जेब को याद करते करते हो गई खाली।।
एक ही पक्का विश्वासी बहुत अंध विश्वासी।
लोग बहुत मिले 'उपदेश' उनमें कई जाली।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद