दिख रहा है रस्सी जल गई ,
पर सुना है बल अभी भी बाकी है।
उस हैवान पर
हैवानियत का ज़ुनून अभी बाकी है।
बख़्शेगा नहीं ख़ुदा उसे उसके बुरे कर्मों के लिए,
शायद वो इससे वाक़िफ नहीं है।
तभी तो बुराइयों पर बुराइयां किए जा रहा है,
और भुगत रहा है दंड फिर भी
बुराइयां काफ़ी उसमें अभी भी बाकी है।
हम तो यही कहेंगे
कर ले जितने ज़ुल्म करने है
पर ख़ुद भी ज़ुल्म सहने के लिए तैयार रहना,
आज तू हमे रूला रहा है
कल ख़ुद रोने के लिए तैयार रहना।
क्योंकि जो तूने हमे दिया वो तुझे भी मिलेगा,
बस ये ना भूलना कि एक ख़ुदा भी है
जो सबका हिसाब करेगा।
"रीना कुमारी प्रजापत"