उससे दिल्लगी है, वो हमारी जान थोड़ी है,
उसे सब मालूम है, कोई अनजान थोड़ी है।
इश्क़ की बाजी और जीतने का भी दावा,
वो माहिर खिलाड़ी है, कोई नादान थोड़ी है।
ये दिल, दिल है किसी का खिलौना तो नहीं,
माना मरता है तुम पे, पर कुरबान थोड़ी है।
उससे मुहब्बत और उसकी कसमें कमाल है,
जिस्म की चाहत है, इश्क़ में ईमान थोड़ी है।
🖊️सुभाष कुमार यादव