बड़ा ही निश्छल मन होता है माँ का जल की तरह।
जीवन के हर रिश्तें मे ढल जाती है वो रंग की तरह।।1।।
कभी जो आए मुसीबत उसके बच्चों पर कहीं।
तो लड़ जाती है माँ जीवन मे उससे जंग की तरह।।2।।
चाहे कोई भी संग हो या न हो जीवन में तुम्हारे।
पर माँ संग रहती है हमेशा तेरे साये संग की तरह।।3।।
अपना सब कुछ त्याग देती है वो अपने बच्चों के लिए।
माँ होती है दुनियां में बिल्कुल ही रब की तरह।।4।।
सभी को दिख जाएंगे यकीनन तेरे गुनाह वारदात में।
एक माँ ही हैं जो दोष ना देगी तुझे यहाँ सब की तरह।।5।।
सारे ही रिश्ते छोड़कर जाएंगे मुफलिसी में तुझको।
एक माँ ही होगी तेरे साथ तेरे हर अंग की तरह।।6।।
गर बिगड़ जाए तेरे रिश्ते दुनियां में सबसे ही।
तो मां के आँचल की छांव लेना शजर की तरह।।7।।
सब कुछ ही बट जाता है भाइयों में घर के बटवारे में।
एक माँ ही नहीं बटती है भाइयों में दौलत की तरह।।8।।
खुदा की खुदाई भी कम पड़ जाए शायद जहां में तेरे लिए।
माँ की ममता कभी कम होती नहीं गहरे समुंदर की तरह।।9।।
वक़्त के साथ तेरे रिश्तें भी बदलने लगते इस जहां में।
इक माँ का रिश्ता ही नहीं बदलता दुनियाँ में शोहरत की तरह।।10।।
रखना तू हमेशा जीवन में माँ को हर पल अपने पास।
खुश रहेगा सदा तू माँ ही होती नहीं बस गम की तरह।।11।।
इक छोटी सी इल्तिज़ा है मेरी तुम सबसे मेरे यारों।
माँ को रखना हमेशा तू अपनी सांसों में धड़कन की तरह।।12।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ