माता पिता बाेलते थे कराे बेटा पढ़ाई,
विद्यालय में पढने के बजाए मैं करता लडाई।।
किसी एक छिछाेरे के बहकावे मेें बह गया,
पढ़ना लिखना छोड़ दिया अन पढ़ ही रह गया।।
मेरे अड़ोस - पड़ोस के सभी दाेस्त बहन भाई,
पढ़ने और लिखने में ही ध्यान उन्हाें ने लगाई।।
बाद में जा कर वेह सभी ने सफलता पाई,
समाज में अपनी अपनी पहचान बनाई।।
काेई ईन्जिनीयर काेई हाे गए डाक्टर ,
विद्यालय में काेई फिर बन गए लेक्चरर।।
उन सब काे देख कर शर्म से मरता हूं,
आज मैं दुसराें का सामान ढोया करता हूं।।
मेरे जैसा बनाेगे ताे बहुत पछताओगे,
पढ़ते लिखते जाओगे ताे चांद में घर बसाओगे।।
पढ़ते लिखते जाओगे ताे चांद में घर बसाओगे .......
----नेत्र प्रसाद गौतम

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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