अगर संसद की सारी कसमें सच होतीं!
कुछ और ही होता
देश का वर्तमान
देश का आसमान!
सत्यनिष्ठों की सत्यनिष्ठा
दम तोड़ देती है संसद के अंदर ही
शेष बची
परोस दी जाती,चमचों की थाली में!
शपथ ग्रहण के बाद
पोशाक बदलने से पहले,श्रद्धा बदल जाती है स्वार्थ में!
प्रभुता और अखंडता जैसे शब्द,
अंकित रह जाते हैं पृष्ठों पर!
कर्तव्यों के कृंदन के स्वर,
कैद रह जाते संसद की दीवारों के अंदर ही!
काश! संसद की सारी कसमें सच होतीं......!!
~अभिषेक_शुक्ल✍️

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




