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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

और कितने दिन मुझे

कापीराइट गजल

दर्द मेरे जख्म का न जाने कब संवारोगे
और कितने दिन मुझे इस दर्द से गुजारोगे


हमें जख्म नया देने की जारी हैं कोशिशें
अब कौन सी कोशिश से मुझको गुजारोगे


ढ़ूंढ़ते हो हर समय जख्म देने के बहाने
यह किस मुसीबत से आज फिर गुजारोगे


सहन होता नहीं मुझको दर्द ये जख्म का
इस दर्द से से मुझे कब तक यूंही गुजारोगे



माना कि दिल तुम्हारा साफ है लेकिन
ऐसे हालात से मगर कब हमें संवारोगे


हमको देते हो दर्द तुम समझकर अपना
क्या मालूम था हमको यूं दर्द से गुजारोगे


कह रहा है तुम से कब से यह यादव
जिन्दगी को आ कर फिर कब संवारोगे

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

"कह रहा है तुम से कब से यह यादव जिन्दगी को आ कर फिर कब संवारोगे" सबसे ज्यादा सुन्दर पंक्तियाँ

Lekhram Yadav replied

नमस्कार सर। आपने कह दिया कि ये लाईन सबसे ज्यादा सुंदर है, मेरे लिए इतना ही काफी है। मैं आपको साभार नमन करता हूं।

Ankush Gupta said

बहुत खूब

Lekhram Yadav replied

आदरणीय अंकुश गुप्ता जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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