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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आजकल तेरे चेहरे पर

आजकल तेरे चेहरे पर बड़ी मुस्कान है,
मेरे जाने की खुशी है क्या?
अश्कों में डूबो दिया तूने मुझे कमबख़्त,
अब और भी कुछ करने का इरादा है क्या..?

ला दिया तूने मेरी ज़िंदगी में ऐसा तूफ़ान
जिसे लाया ना होगा कभी किसी ने किसी की ज़िंदगी में, ऐसा बैर ना बसाया होगा कभी किसी ने अपने बैरी से
जैसा बसाया है आज तूने अपने ही से।

अश्कों का सैलाब मेरे नाम कर दिया,
ज़िंदगी में तूने मेरे ज़हर भर दिया।
ऐसी भी क्या दुश्मनी मुझसे,
जो तूने यूं सरेआम मुझे बदनाम कर दिया।

चाले चलना तो कोई तुझसे सीखे, माशाल्लाह ! क्या बिसात बिछाई है।
तेरी हर चाल से वाक़िफ़ है हम,
तू ये ना समझना के नादान है हम।
- रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

वाह बहुत सुन्दर रचना है मेरी प्यारी बहना। वैसे मेरी प्यारी बहना इतनी नादान तो नहीं कि वह दूसरों बिछाई हुई बिसात में फंस जाए, हां वो अपने शब्दों के दांव से सबको चित्त कर सकती है।

रीना कुमारी प्रजापत replied

सही पहचाना आपने, बहुत बहुत आभार आपका

Bhushan Saahu said

Kya bat ha ...behad sundar.

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद भूषण साहू जी

Komal Raju said

Well said...

Shyam Kumar said

Kisi pr aasani se viswas mt kro bs

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

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