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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

अपने “मैं” को पहचानने निकला

अपने “मैं” को पहचानने निकला
एक दिन अपने आप को जानने का मन कर आया
अपने “मैं”को पहचानने का ख्याल कर आया
अपनों में ढूँढा
रिश्तों में ढूँढा
धामों तीर्थों में ढूँढा
मंदिर मंदिर माथा टेका
कुछ समझ नहीं जब आया
तब सन्तों के दर्शन को आया
गुरु के दरवाज़े पर जब पहुँचा
तब जाना कि
“मैं”को तो खो देना है
न तन अपना ,न मन अपना
न साँसे अपनी ,न दुनिया अपनी
तो क्यों ढूँढ कर उसे सिर का ताज़ बनाना है ..(to be continued)
वन्दना सूद


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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Lekhram Yadav said

बिल्कुल सही कहा आपने वन्दना जी, खुद को भूलकर ही हम 'मैं' को जान सकते हैं। आपको सादर नमस्कार।

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir 🙏🙏😊

उपदेश कुमार शाक्यावार said

Wah...Bahut Khub

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

कमलकांत घिरी said

एकदम सही कहा मैम, बहुत ही सुंदर विचार👌🙌, प्रणाम 🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 🙏🙏

श्रेयसी said

सही कहा 'मैं' के पीछे सब पागल हैं ।🙏🙏

वन्दना सूद replied

सही में चाह कर भी इस मैं को छोड़ नहीं पाते

सुभाष कुमार यादव said

बहुत ही सुंदर रचना उतना ही सुंदर संदेश।👌👌🙏🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏

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