खूब लिखिए, मिटाइए, मिटाकर लिखिए,
लेकिन हमें अपने अल्फ़ाज़ों को पढ़ने तो दिया कीजिए।
माना कि आदत सी बन गई आपकी
लिखकर मिटाने की,
पर इसे थोड़ा ही सही हमारे लिए कम कर दीजिए।
जानते हैं औरों से थोड़ा ही नहीं
काफ़ी अलग है आप,
तभी तो अजनबी होते हुए भी हम है आपके साथ।
हमें बिल्कुल नहीं लगता कि बेघर है आप,
ये तो सच है ही कि हज़ारों दिलों दिमाग में
बसते हैं आप।
जिस जगह आप खड़े है लोग बड़े मग़रुर रहते हैं,
मगर आप ऐसे नहीं हैं क्योंकि औरों से
थोड़े नहीं काफ़ी अलग हैं आप।
आपकी मासूमियत,आपका मिज़ाज
हमें बहुत अच्छा लगा है,
वरना हमारे दिल में भी कोई ऐसे ही नहीं
उतरता है जनाब।
ये दिल इंसानों को पहचानने का हुनर रखता,
तभी तो मीलों दूर बैठे शख़्स को भी अपना
बना लेता है।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




