एकतरफ़ा प्रेम : लाइलाज बीमारी
भाइयो… और बहनो…
सावधान हो जाइए!
क्योंकि ये कविता,
किसी आशिक़ के टूटे दिल से नहीं —
बल्कि फूले हुए भेजे से निकली है!
“ एकतरफ़ा प्रेम”
यानी प्यार का एकतरफा चप्पल,
जो सीधा दिल पर नहीं,
आत्मा पर पड़ता है!
जिसे तुम मोहब्बत समझ बैठे,
वो दरअसल तुम्हारी Google history थी —
जिसमें तुम बस उन्हीं का नाम सर्च करते रहे,
और वो तुम्हें…
ब्लॉक करके आगे बढ़ गईं!
ये बीमारी धीरे-धीरे नहीं लगती,
अचानक लगती है!
जैसे WhatsApp पर “Hi” लिखकर तुमने
जैसे ही Enter मारा…
बस उसी पल,
तुम प्रेमरोग के ICU में भर्ती हो जाते हो।
ये प्यार नहीं,
एक Emotional जूसर मशीन है!
जहाँ तुम
अपनी भावनाओं का रस निकालते हो…
और वो
फ़्रिज खोलकर किसी और के साथ कोल्ड ड्रिंक पीती है।
तो हे आत्मीय प्रेमियों!
एकतरफ़ा प्रेम करना है तो करो…
लेकिन फिर रोना मत!
क्योंकि इसमें ना “Commitment” होता है,
ना “Return Policy!”
एकतरफ़ा प्रेम…
मतलब तुम अकेले नाव खींच रहे हो,
और सामनेवाला…
किनारे बैठकर धूप सेंक रहा है!
तुम समझते हो ये दिल है,
मगर वो समझती है…
“एक option है!”
अरे ओ भोले प्रेमियों!
ज़रा ठहरो, सोचो,
जो तुम्हारे मैसेज का जवाब 3 दिन में दे,
वो तुम्हें ज़िंदगी भर साथ देगी —
इस भ्रम से बाहर आओ!
क्योंकि एकतरफ़ा प्रेम कोई फूल नहीं,
ये कांटों की कालीन है!
जहाँ तुम चलते हो प्रेम में,
और वापस आते हो —
लहूलुहान लाफ्टर में!
तो हे भोले आशिक़ों,
अब भी वक्त है!
उसका “online” देखकर
अपना “mental status” offline मत करो।
इसे प्रेम मत कहो…
ये तो बस…
“Feelings की फिक्स्ड डिपॉज़िट” है,
जो बिना ब्याज के डूब जाती है
जय एकतरफा प्रेम!
और उससे भी जयादा —
उससे बाहर निकल आने वालों को नमस्कार!
भाईयो और बहनो!
अगर आप अब भी पूछ रहे हो —
“क्या एकतरफ़ा प्रेम करें?”
तो मेरी आत्मा कहती है…
“किए थे कई आशिक़, और हुए सब के सब शहीद!”