बस कांच के महल ही महफूज हैं यहां
हर हाथ में पत्थर हैं अजीब बात है।।
होठों पै बुलबुलों के हैं प्यार के तराने
पर आंखों में ज़हर है अजीब बात है।।
यहाँ फैली हुई है कैसी ये अजब सी बू
मुर्दों का शहर है अजीब बात है।।
प्यार की कीमत चुकानी पडती है सबको
शरीफजादों का शहर है अजीब बात है।।
करते हैं जो शिकार बस शौक की खातिर
उन्हें भी मरने का डर है अजीब बात है।।
दास हमारे साथ सब कुछ मिटेगा देखना
जिंदगी तन्हा सफ़र है अजीब बात है ।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




